शुक्रवार, मार्च 18

आयी होली

आयी होली

फिर लगी अगन
ईंधन
भीतर बाहर का
हुआ दहन
मुक्त हुए मन
कर पूजा, किये नमन
फिर जली होलिका लाल
बच गया प्रिय प्रहलाद
छाया आह्लाद
आयी होली !

फिर चढ़ी कढ़ाही
छन्न हुई आवाज
तली गुझियाँ
और भुजियाँ
मुख में भर आया जल
स्वाद मिस्री बन फैला
नेह भरा उर माँ का
लो आयी होली !

फिर रंग उड़े
बजे ढोल, मंजीरे खड़के
जगी उमंग
ऋतु सँग सँग
मन में भरा उछाह
पुलक उत्सव बन बिखरी
लो पुनः आ गयी होली !

अनिता निहालानी
१८ मार्च २०११  

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपको होली की सपरिवार हार्दिक शुभ कामनाएं!

    जवाब देंहटाएं
  2. यूं तो हर शब्‍द होली के रंग में भीगा हुआ है ...और यह पंक्ति ...गुलाल के संग एक खूबसूरत सवाल ...होली की शुभकामनाएं ...।।

    जवाब देंहटाएं
  3. अनीता जी,

    रंगों भरी ये पोस्ट शानदार है........

    जवाब देंहटाएं
  4. होली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं। ईश्वर से यही कामना है कि यह पर्व आपके मन के अवगुणों को जला कर भस्म कर जाए और आपके जीवन में खुशियों के रंग बिखराए।
    आइए इस शुभ अवसर पर वृक्षों को असामयिक मौत से बचाएं तथा अनजाने में होने वाले पाप से लोगों को अवगत कराएं।

    जवाब देंहटाएं