बुधवार, नवंबर 30

जागरण


 जागरण 

सोयी हुई देशभक्ति भी 
जाग  रही है दिल में सबके,
खोयी हुई आस्था जागी 
मूल्यों के प्रति हर अंतर में !

तप कर सोना कुंदन बनता 
जनता तप हेतु तैयार,
घण्टों पंक्ति में लगकर भी 
कम न होता दिल में प्यार !

भारत नए दौर में पहुँचा 
नई ऊर्जा नई  लहर है,
पारदर्शिता लेन-देन में 
नई चेतना डगर-डगर है !

 नहीं  रुकेगी यह यात्रा 
अब स्वर्णिम युग की आहट  है 
जो न इसके संग चल रहे 
उन कदमों में घबराहट है !

दुनिया देखे परिवर्तन को  
देश नई करवट लेता है,
नव गति, नव उल्लास समेटे 
'सत्यमेवजयते' गाता  है !






2 टिप्‍पणियां: